पूजा से संबंधित छोटी-छोटी बातें, ध्यान रखने से होते हैं भगवान प्रसन्न


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पूजा-पाठ हिंदू धर्म का एक विशेष अंग है। पूजा-पाठ करने से सुख-शांति अौर समृद्धि की प्राप्ति होती है। विधि-विधान से पूजन करने पर देवी-देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं। मगर बहुत ही कम लोग पूजा से संबंधित जरूरी बातें जानते हैं। इन बातों के बारे में हमारे धर्म ग्रंथों में बताया गया है। पूजा से संबंधित ऐसी कई छोटी-छोटी जरूरी बातें होती हैं, जिनका ध्यान रखना चाहिए।
* घी अौर तेल दोनों के दीपक प्रज्वलित करने चाहिए। तेल का दीपक बाएं हाथ अौर घी का दीपक दाएं हाथ की अोर प्रज्वलित करना चाहिए।
* हल्दी वाले जल में चावल डूबोकर पीला करें। उसके पश्चात पीले चावलों को चढ़ाएं। पीले चावल चढ़ाना शुभ होता है। ध्यान रखें पूजा के लिए अखंड़ित चावलों का प्रयोग न करें।
* पूजा के समय पान का पत्ता रखना भी शुभ होता है। पान के पत्ते के साथ इलाइची, लौंग, गुलकंद आदि भी अर्पित करना चाहिए। पूरा बना हुआ पान अर्पित करना अति उत्तम होता है।
* भगवान को कभी भी बासी जल, फूल और पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। लेकिन गंगाजल, तुलसी के पत्ते, बिल्वपत्र और कमल, ये चारों किसी भी अवस्था में बासी नहीं होते। इसलिए इनका उपयोग पूजन में कभी भी किया जा सकता है।
* पूजन से पूर्व देवी-देवताअों को आमंत्रित करें। देवी-देवताअों का ध्यान करके उन्हें आसन्न दें, स्नान करवाएं, धूप-दीप जलाकर कुमकुम, फूल, प्रसाद अर्पित करें।
* प्रत्येक भगवान को अलग-अलग रंग का वस्त्र चढ़ाना चाहिए। भगवान विष्णु को पीले रंग का रेशमी वस्त्र चढ़ाना चाहिए। मां दुर्गा, सूर्य देव अौर श्री गणेश को लाल रंग का अौर भोलेनाथ को सफेद रंग का कपड़ा चढ़ाना चाहिए।
* पूजा करते समय कुल देवता, कुल देवी, घर के वास्तु देवता, ग्राम देवता आदि का ध्यान कर उनकी पूजा भी करनी चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
* पूजा करते समय हम जिस आसन्न पर बैठते हैं उसे पैर से इधर-उधर नहीं खिसकाना चाहिए। आसन्न को हाथों से खिसकाएं।
* पूजा करते समय इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नव ग्रह देवता, पंच लोकाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी करना चाहिए।
* घर में प्रतिदिन घी का एक दीपक अवश्य प्रज्वलित करें। इससे कई वास्तु दोष दूर होते हैं। दीपक के धुंए से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी।
* श्रीगणेश, सूर्यदेव, मां दुर्गा, भोलेनाथ अौर भगवान शिव को पंचदेव कहा जाता है। कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व इनका पूजन अवश्य करना चाहिए।
* वायु पुराण में कहा गया है कि स्नान के पश्चात ही पूजा के लिए फूल-पत्ते तोड़े। बिना स्नान करे जो व्यक्ति फूल या तुलसी तोड़ता है भगवान उसे ग्रहण नहीं करते।
* पूजा करते समय अनामिका उंगली अर्थात रिंग फिंगर से चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी लगानी चाहिए। किसी अन्य उंगली से न लगाएं।
* पूजा स्थान पर चप्पल पहनकर न जाएं। इसके साथ ही चमड़े की बेल्ट या पर्स अपने पास रखकर भी पूजन नहीं करना चाहिए।
Source: newsabc.in

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