मोदी जी की मुफ्त लैपटॉप वितरण योजना का फॉर्म आपने भी भरा क्या?
वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से नया ज्ञान मिला है. मुफ्त में लैपटॉप दे रही है मोदी सरकार. वो भी बिलकुल मुफ्त. स्कीम का नाम लैपटॉप वितरण योजना 2017. बस लैपटॉप बुक करना होगा. जैसा कि होता है हमें पता था ये बात झूठी है. लेकिन फिर भी कहे कि चलो देखते हैं क्या भसड़ है. कहा गया कि मोदी सरकार की तरफ से बिलकुल फ्री में लैपटॉप दिए जा रहे हैं, जल्दी बुक किया जाए. साथ में एक लिंक भी है.
हमने लिंक पर क्लिक किया. ये देखने को कि क्या होता है. अंदर देखे तो मोदी काका की फोटो. उनका साइन भी था. एक लैपटॉप बना था. मोदी काका विक्ट्री का साइन दिखा रहे थे. लिखा था, युवाओं के लिए सुनहरा मौक़ा, मोदी सरकार की तरफ से मुफ्त में लैपटॉप दिया जा रहा है. आज ही लैपटॉप बुक करा लें. डेट भी लिखी थी, एक जुलाई 2017 को लैपटॉप मिलेगा.
नीचे एक फॉर्म जैसा था. उसमें नाम पूछ रहे थे, स्टेट का पता भी मांगा जा रहा था. और तो और पसंद भी पूछी जा रही थी कि कौन सा ब्रांड चाहिए.
हम Next भी दबा दिए. लेकिन ‘कटोरे के अंदर कटोरा बेटा बाप से भी ज्यादा रेसिस्ट’ वाला सीन बन गया. उसके अंदर एक और पेज. लैपटॉप दूर-दूर तक नहीं दिख रहा था. अब इनवाइट और ऑर्डर का ऑप्शन आ रहा था. हम तो ऑर्डर करने चल दिए.
पर अब ये कहिस कि 15 लोगों को इनवाइट करो. हम बोले लो ये नया झाम पैदा हो गया. इनवाइट किए. कहने लगा 15 को करो.
हमको लगता है ये वेबपेज फोन वालों के लिए बनाया गया है. काहे कि लैपटॉप पर तो कुछ हुआ ही नहीं. आगे क्लिक करने पर. ऐसा पेज खुल गया.
लेकिन होशियार ये लोग इतने थे कि क्लिक को शेयर मान लिए. हर क्लिक को एक शेयर गिनते गए.
जब पंद्रह बार हुआ तो बताइस आपका ऑर्डर मिल गया है. ऑर्डर नंबर भी दे दिया गया. इसके पश्चात ये औकात पर आ गए. कहा नीचे लिंक पर क्लिक करो App डाउनलोड करो. तभी अपना एड्रेस डाल सकोगे. अब समझे? ये ऐप डाउनलोड कराने के लिए फंसा रहे थे. हम बोले तुम दाल-दाल हम भात-भात. लेओ.
और फिर ज्ञान चक्षु खुले, उड़ीबाबा-अलीबाबा टाइप्स भाव आए. ये वाला ऐप डाउनलोड करने को कहा जा रहा था. आपको तो पता ही है, ये ब्राउजर मोबाइलों का अरिजित सिंह है. सारी भसड़ इसको डाउनलोड कराके इंस्टाल कराने की खुरपेंच थी. डाउनलोड तो हम खाक ही करते. आगे बढ़ लिए.
फिर हम सोचे अब लैपटॉप ही बुला लें. लेकिन नहीं. हमसे कह दिया गया कि बबुआ ऐप डाउनलोड नहीं किए हो. पहिले वो करो तब लैपटॉप आया.
अब तक हमको समझ आ चुका था कि लैपटॉप-वैपटॉप जीएचएएनटीए न आवेगा. ये सारे मिलके हमको पागल बना रहे हैं. डायलॉग बतिया रहे हैं. हम आगे बढ़ लिए आप भी आगे बढ़ लो. ये फर्जीवाड़ा है ये एक ब्राउजर वाले फंसा रहे हैं. ‘ब’ से ‘बुद्धू’ बना रहे हैं. ‘ग’ से ‘गधा’ समझ रहे हैं. हमको इनके जाल में नहीं फंसना है. पर अगर आप ज्यादा ही समझदार टाइप्स हैं. एक मैसेज को 15 ग्रुप में भेजकर दुनिया बदलने (और दुनिया न बदले तो मैसेज में आई बॉल का रंग बदलने में भरोसा रखते हैं) तो एक ही स्टेप बाचा है. वो कर लीजिए. ऐप डाउनलोड कीजिए. फिर अपना पता दीजिए. और वेट कीजिए कि लैपटॉप आएगा.
1. जो कि कभी नहीं आएगा.
2. ये झूठा मैसेज है.
3. सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है.
4. वो मोदी हैं, मुलायम के बेटे अखिलेश नहीं कि मुफ्त का लैपटॉप देंगे.
5. ऐसे मैसेजेज पर भरोसा करने से अच्छा, इंटरनेट बंद करके डायनासोर वाला गेम खेल लिया कीजिए. उसके लिए अपना इंटरनेट बंद कीजिए. और स्पेसबार मार-मारकर डायनासोर कुदाना शुरू कर दीजिए।
2. ये झूठा मैसेज है.
3. सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है.
4. वो मोदी हैं, मुलायम के बेटे अखिलेश नहीं कि मुफ्त का लैपटॉप देंगे.
5. ऐसे मैसेजेज पर भरोसा करने से अच्छा, इंटरनेट बंद करके डायनासोर वाला गेम खेल लिया कीजिए. उसके लिए अपना इंटरनेट बंद कीजिए. और स्पेसबार मार-मारकर डायनासोर कुदाना शुरू कर दीजिए।
From:- thelallantop.com
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