चक्रधरपुर रेल मंडल में अबतक का सबसे बड़ा मालगाड़ी रेल हादसा

22 दिसंबर की देर शाम यह रेल हादसा हुआ. दरअसल, एक मालगाड़ी साइडिंग में लोड होकर मैन लाइन पर लाई जा रही थी. इसी दौरान इंजन का ब्रेक फेल हो गया. मालगाड़ी के इंजन में बैठे चालक ने ट्रेन को ब्रेक मारकर रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन ट्रेन नहीं रुकी. जिसके बाद चालक और गार्ड ने कूदकर अपनी जान बचाई.

झारखंड के चक्रधरपुर रेल मंडल में अबतक का सबसे बड़ा मालगाड़ी रेल हादसा देखने को मिला है. रेल मंडल के बिमलगढ़ रेलवे स्टेशन में आयरन ओर से लोडेड मालगाड़ी रोल डाउन होकर दुर्घटनाग्रस्त होने से मालगाड़ी के 60 डिब्बे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. बिजली के खम्बे और तार भी क्षत्तिग्रस्त हो गए हैं. रेल पटरी भी ध्वस्त हो गई. मालगाड़ी के इस तरह दुर्घटनाग्रस्त होने से बिमलगढ़ सेक्शन में ट्रेनों का परिचालन भी प्रभावित हुई है. इस हादसे से रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ है. रेलवे ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. 

चक्रधरपुर रेल मंडल में माल ढुलाई के लिए विशेष तौर पर पदस्थापित वरीय वाणिज्य प्रबंधक विजय कुमार यादव की मानें तो यह हादसा रेलवे की नजर में बहुत बड़ा रेल हादसे के कैटेगरी में आ सकता है. इस हादसे में रेलवे को बड़ा आर्थिक नुकसान तो हुआ है, लेकिन इस हादसे से किसी भी तरह का जान का नुकसान नहीं होना रेलवे के लिए एक बड़ी उपलब्धि भी कही जा सकती है.

सीनियर डीसीएम फ्रेट विजय कुमार यादव ने बताया कि 22 दिसंबर की देर शाम यह रेल हादसा हुआ. दरअसल, एक मालगाड़ी साइडिंग में लोड होकर मैन लाइन पर लाई जा रही थी. इसी दौरान इंजन का ब्रेक फेल हो गया. मालगाड़ी के इंजन में बैठे चालक ने ट्रेन को ब्रेक मारकर रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन ट्रेन नहीं रुकी. जिसके बाद चालक और गार्ड ने कूदकर अपनी जान बचाई. इसके बाद ढलान होने के कारण यह ट्रेन बिना ड्राइवर और गार्ड के 100 से भी अधिक रफ़्तार में भागने लगी. तकरीबन 20 किलोमीटर तक का फासला इस ट्रेन ने तय कर लिया. इस दौरान ट्रेन ने कई रेल फाटकों को भी पार किया.

चक्रधरपुर रेल मंडल के अधिकारीयों ने ब्रेक फेल हुए इस ट्रेन को नियंत्रित करने के लिए आखिरकार ट्रेन को दुर्घटनाग्रस्त करने का फैसला लिया गया. जिसके बाद बिमलगढ़ स्टेशन में ट्रेन को दुर्घटनाग्रस्त करने की योजना बनाई गयी. पॉइंट्स मैन की मदद से ट्रेन का मार्ग चार नंबर रेल पटरी पर बदल दिया गया. तेज रफ़्तार में आती ट्रेन चार नंबर पटरी के डेडएंड से टकराई और जोरदार धमाके की आवाज के साथ वैगन, वैगन के पहिये ऊपर उछल-उछल कर धड़ाम धड़ाम कर नीचे गिरने लगे. बिजली के खम्बे तार रेल पटरी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई.

यह घटना अगर दिन के वक्त होती और यह ट्रेन मालगाड़ी के बजाये कोई पैसेंजर ट्रेन होती तो हादसे का नजारा और भी विभस्त होता. शुक्र है कि आसपास रिहायशी इलाका भी नहीं था और न ही कोई बसा हुआ गांव था. वरना इसकी चपेट में कई लोग आते और अपनी जान गवां बैठते. विजय कुमार यादव बताते हैं कि हादसा बड़ा था लेकिन दो रेलकर्मी को महज हलकी चोट आई है.

हादसे में कितना नुकसान हुआ है इसका आंकलन नहीं हो पाया है. हादसे के कारण को भी तलाशने की तैयारी शुरू कर दी गई है. रेलवे द्वारा टीम गठित कर जांच की जा रही है.  इस मामले में जो भी दोषी पाए जायेंगे उनपर रेलवे सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है. रेलवे अधिकारी कर्मचारी की फ़ौज मौके पर बचाव राहत कार्य में रात से ही जुटे हैं. चक्रधरपुर, बंडामुंडा, डोंगवापोशी, रांची आदि इलाके से क्रेन मंगाकर मालगाड़ी के डिब्बे व पहियों को हटाने का कार्य जारी है. विजय कुमार यादव ने बताया है कि 36 घंटे में पटरी को दुरुस्त कर लिया जायेगा. रेल अधिकारीयों की टीम मंडल मुख्यालय में लगातार बैठक कर इसे ठीक करने की जुग्गत में लगे हैं.


एक बात यह भी सामने आ रही है कि चक्रधरपुर रेल मंडल में कर्मचारियों पर ज्यादा से ज्यादा मालगाड़ी चलाने का बड़ा दबाव अधिकारियों के द्वारा थोपा जा रहा है. खनन व लौह अयस्क ढुलाई वाले इन क्षेत्रों में रेल कर्मचारी ना तो सही तरह से रेस्ट कर पा रहे हैं और न ही मानसिक और शारीरिक रूप से संतुलित हो पा रहे हैं. लगातार मालगाड़ी चलाने के दबाव से भी हादसे लगातार चक्रधरपुर रेल मंडल में हो रहे हैं. पिछले दो हफ्ते में चक्रधरपुर रेल मंडल के नोवामुंडी में दो और बंडामुंडा में एक मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है.


इसके बावजूद रेलवे इन हादसों से सबक नहीं ले रही है. इसका नतीजा अब इस बड़े रेल हादसे से सामने आया है. रेल कर्मचारी अपनी नौकरी खोने के डर से ना तो अपनी पीड़ा अधिकारी को बता एकता है और ना ही मीडिया को बताने की हिम्मत जुटा पाता है, रेलवे के अधिकारी भी ऐसे सवालों का जवाब देने से कतराते हैं. रिकोर्ड तोड़ माल ढुलाई के कीर्तिमान पाने क लिए चक्रधरपुर रेल मंडल में मालगाड़ियों के परिचालन का भारी दबाव रेलकर्मी झेल रहे हैं.

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